कौन कमबख्त बर्दाश्त करने को पीता हे .....
हम तो पीते हे की यहाँ पर बेठ शके
तुम्हे देख सके
तुम्हे बर्दाश्त कर सके
बाबूजी ने कहा गाओ छोड़ दो ......
सबने कहा परोको छोड़ दो .....
परोने कहा शराब छोड़ दो .....
आज तुमने कहा हवेली छोड़ दो ......
एक दिन आयेगा जब वो कहेंगे
दुनियाही छोड़ दो .
अपने हिसे की जिंदगी तो हम जी चुके चुन्नी बाबु
अब तो बस धड्कनोका लिहाज़ करते हे ....
क्या कहे ये दुनिया वालो को जो
आखरी साँस पर भी ऐतराज़ करते हे
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